- सोलर पैनल क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
सोलर पैनल एक ऐसा यंत्र है जो सूर्य की रोशनी को बिजली में बदल देता है। इसमें लगे होते हैं छोटे-छोटे “सोलर सेल्स” (Photovoltaic Cells) जो सूर्य की किरणों को अवशोषित करते हैं और उसे Direct Current (DC) में बदलते हैं। यह DC करंट फिर एक इन्वर्टर के ज़रिए Alternating Current (AC) में बदला जाता है, जिसे हमारे घरों और ऑफिसों में उपयोग किया जा सकता है।
सोलर पैनल एक environment-friendly तकनीक है जिससे आप अपने बिजली के बिल को कम कर सकते हैं और पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं।
- सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?
मुख्यतः 3 प्रकार के सोलर पैनल होते हैं:
- Monocrystalline सोलर पैनल
- ये सबसे बेहतर गुणवत्ता वाले पैनल होते हैं।
- इनमें एफिशिएंसी सबसे ज़्यादा होती है यानी कम जगह में ज़्यादा बिजली बनाते हैं।
- इनकी लाइफ भी लंबी होती है (25+ साल)।
- थोड़ा महंगे होते हैं लेकिन निवेश के लिहाज़ से अच्छे हैं।
- Polycrystalline सोलर पैनल
- ये थोड़े सस्ते होते हैं।
- इनकी एफिशिएंसी monocrystalline से थोड़ी कम होती है।
- सामान्य घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं।
- Thin-Film सोलर पैनल
- ये बहुत हल्के होते हैं और किसी भी सतह पर लगाए जा सकते हैं।
- कम एफिशिएंसी होती है इसलिए बहुत ज़्यादा जगह की ज़रूरत होती है।
- क्या मेरे घर या ऑफिस के लिए सोलर सिस्टम उपयुक्त है?
अगर आपकी छत पर कम से कम 100 वर्ग फीट (square feet) की खुली जगह है, जहाँ दिनभर धूप आती है, तो वहाँ सोलर सिस्टम लगाया जा सकता है। छत का दिशा दक्षिण (South) या पश्चिम (West) की ओर हो तो एफिशिएंसी और भी अच्छी होती है।
- सोलर पैनल कितने साल चलता है?
अच्छी क्वालिटी के ब्रांडेड सोलर पैनल की औसत लाइफ 25 से 30 साल तक होती है।
- लगभग 25 साल तक ये 80% से अधिक एफिशिएंसी पर काम करता है।
- पैनल पर 25 साल की परफॉर्मेंस वारंटी और 10-12 साल की प्रोडक्ट वारंटी मिलती है।
- क्या सरकार सोलर सिस्टम पर सब्सिडी देती है?
हाँ, भारत सरकार की “राष्ट्रीय सोलर रूफटॉप योजना” (PM Surya Ghar Yojana) के अंतर्गत 20% से 40% तक की सब्सिडी मिलती है।
- यह सब्सिडी 3 किलोवाट तक के घरेलू उपयोग के सिस्टम पर लागू होती है।
- सब्सिडी सीधे ग्राहक के बैंक खाते में आती है।
- इसके लिए आपको DISCOM (बिजली वितरण कंपनी) से आवेदन करना होता है।
हमारी टीम आपको इस प्रक्रिया में पूरा सहयोग देती है।
- क्या सोलर सिस्टम के लिए लोन भी मिल सकता है?
बिलकुल! अब कई बैंक और NBFC कंपनियाँ सोलर पैनल के लिए आसान EMI पर लोन दे रही हैं:
- ब्याज दर: 8% से 12% के बीच
- लोन अवधि: 1 से 7 साल
- प्रक्रिया: PAN कार्ड, आधार कार्ड, बिजली बिल और बैंक स्टेटमेंट से लोन प्रोसेस होता है
- कुछ राज्य सरकारें “इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम” भी देती हैं यानी ब्याज का कुछ हिस्सा सरकार भरती है।
हमारी कंपनी के पास कुछ बैंकों से टाई-अप है जिससे आपको लोन जल्दी और आसानी से मिल सकता है।
- सोलर सिस्टम कितने किलोवाट का लेना चाहिए?
यह आपकी बिजली की खपत पर निर्भर करता है। सामान्यतः:
- 1kW = 4 से 5 यूनिट बिजली प्रतिदिन
- 1kW सिस्टम = ₹60,000 से ₹75,000 (सब्सिडी के पहले)
उदाहरण:
- अगर आपका महीने का बिल ₹1000–₹1500 आता है तो 2kW पर्याप्त होगा।
- ₹2500–₹3500 का बिल है तो 3kW या 5kW का सिस्टम उचित रहेगा।
हम फ्री कंसल्टेशन के ज़रिए आपकी जरूरत के अनुसार सिस्टम सजेस्ट करते हैं।
- On-grid, Off-grid और Hybrid सिस्टम में क्या अंतर है?
On-grid सिस्टम:
- बिजली विभाग (grid) से जुड़ा होता है
- अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेज सकते हैं
- बिल में units घटती हैं या Net Metering से zero हो सकता है
- बैटरी की ज़रूरत नहीं होती
Off-grid सिस्टम:
- ग्रिड से नहीं जुड़ा होता, बैकअप के लिए बैटरी होती है
- ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयोगी जहाँ बिजली कटौती ज़्यादा होती है
Hybrid सिस्टम:
- दोनों सिस्टम का कॉम्बिनेशन
- बैटरी + ग्रिड दोनों से जुड़ाव
- अधिक लचीला और किफायती विकल्प
- सोलर पैनल का रखरखाव (मेंटेनेंस) कैसे किया जाता है?
सोलर पैनल की मेंटेनेंस बहुत आसान होती है।
- हर 1-2 महीने में साफ पानी से धो देना चाहिए
- धूल, पक्षियों की बीट, सूखे पत्ते आदि हटाना ज़रूरी होता है
- इन्वर्टर और वायरिंग की सालाना जांच होनी चाहिए
हम AMC (Annual Maintenance Contract) की सुविधा भी देते हैं जिसमें हमारी टीम सालभर में कई बार आकर चेक करती है।
- क्या बारिश, बादल या ठंड में पैनल बिजली बनाता है?
हाँ, लेकिन बिजली उत्पादन कम हो जाता है।
- धूप में: 100% उत्पादन
- बादल में: 40%–60%
- बारिश में: लगभग 20%–30%
इसलिए बैकअप के लिए Hybrid या Off-grid सिस्टम उपयुक्त रहते हैं।
- क्या पैनल लगाने के बाद बिजली का बिल आएगा?
अगर आपने अपनी खपत के अनुसार सही आकार का On-grid सिस्टम लगवाया है और धूप ठीक-ठाक मिलती है, तो बिजली का बिल या तो बहुत कम आएगा या बिल्कुल “Zero” आ सकता है।
अगर आप ग्रिड में ज़्यादा बिजली भेजते हैं, तो कुछ DISCOM कंपनियाँ आपको उसका क्रेडिट देती हैं।
- क्या पैनल से एक्स्ट्रा बिजली बेच सकते हैं?
हाँ, Net Metering सुविधा के तहत आप अपनी अतिरिक्त बिजली DISCOM को भेज सकते हैं और उसका पैसा क्रेडिट के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। यह सब कुछ आपके Net Meter के ज़रिए ट्रैक होता है।
- क्या सोलर इंस्टॉलेशन के लिए सरकारी अनुमति लेनी होती है?
हाँ, आपको DISCOM से NOC (No Objection Certificate) और Net Meter की अनुमति लेनी होती है।
- कुछ जगहों पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है
- हम पूरी अनुमति प्रक्रिया में आपकी मदद करते हैं
- क्या छत पर जगह न हो तो क्या सोलर लग सकता है?
अगर आपकी छत छोटी है तो:
- Wall-mounted structure या shade-mounted structure भी लगाया जा सकता है
- कुछ लोग अपने खेत या खाली जमीन में भी ground-mounted सिस्टम लगवाते हैं
- क्या सोलर लगाने से घर की कीमत बढ़ती है?
बिलकुल! सोलर सिस्टम से घर energy-efficient हो जाता है, जिससे उसकी बाजार में कीमत बढ़ती है।
- बिजली की बचत होती है
- eco-friendly टैग मिलता है
- resale में buyer को ज़्यादा आकर्षण लगता है
- क्या आप इंस्टॉलेशन के बाद भी सपोर्ट देते हैं?
जी हाँ, हमारी सेवाओं में शामिल है:
- इंस्टॉलेशन के बाद 5 साल तक टेक्निकल सपोर्ट
- WhatsApp या कॉल के ज़रिए तुरंत सहायता
- AMC के ज़रिए नियमित मेंटेनेंस
- मोबाइल ऐप से लाइव एनर्जी मॉनिटरिंग सेटअप
- क्या सोलर पैनल ओलों या तूफ़ान में सुरक्षित रहता है?
ब्रांडेड सोलर पैनल IP65 या IP67 रेटिंग वाले होते हैं, जो बारिश, धूल और हल्के तूफानों को झेल सकते हैं।
- Strong aluminum frame होती है
- Toughened glass लगा होता है
फिर भी हम सलाह देते हैं कि इंस्टॉलेशन ढंग से हो और स्ट्रक्चर मजबूत हो।